Vibha
Tuesday, February 12, 2013
Tuesday, February 15, 2011
औरत की जिंदगी
मर्दों का ये ख्याल है औरत की जिन्दगी
हर तरफ तख्तो- ताज है औरत की जिंदगी
मौत से बत्तर हाल है औरत की जिन्दगी
हर एक की इज्जत का सवाल है औरत की जिन्दगी
कितनो के जुल्म का हिसाव है औरत की जिन्दगी
आज माँ, बहन, बेटी का जीना मुहाल है औरत की जिन्दगी
हर नजर का शिकार है औरत की जिन्दगी
कितना बड़ा सवाल है औरत की जिंदगी
दरिया से गहरा हाल है औरत की जिन्दगी
आज मेरा कल तेरा भी बुरा हाल है औरत की जिन्दगी
देखो जरा बबाल है औरत की जिन्दगी ?
खुशियों पर लगा दाग है औरत की जिन्दगी.. ?
कोई तो पूछे उन दरिंदो से
मुश्किलों से तंग-हाल है औरत की जिन्दगी ?
सुनलो मुझे पढने बालो जख्मो का पहने ताज है
औरत की जिन्दगी .......?.
कितना बड़ा सवाल है औरत की जिन्दगी.....???
हर तरफ तख्तो- ताज है औरत की जिंदगी
मौत से बत्तर हाल है औरत की जिन्दगी
हर एक की इज्जत का सवाल है औरत की जिन्दगी
कितनो के जुल्म का हिसाव है औरत की जिन्दगी
आज माँ, बहन, बेटी का जीना मुहाल है औरत की जिन्दगी
हर नजर का शिकार है औरत की जिन्दगी
कितना बड़ा सवाल है औरत की जिंदगी
दरिया से गहरा हाल है औरत की जिन्दगी
आज मेरा कल तेरा भी बुरा हाल है औरत की जिन्दगी
देखो जरा बबाल है औरत की जिन्दगी ?
खुशियों पर लगा दाग है औरत की जिन्दगी.. ?
कोई तो पूछे उन दरिंदो से
मुश्किलों से तंग-हाल है औरत की जिन्दगी ?
सुनलो मुझे पढने बालो जख्मो का पहने ताज है
औरत की जिन्दगी .......?.
कितना बड़ा सवाल है औरत की जिन्दगी.....???
कोई ला कर मुझे दे
वो बचपन की यादें
वो तारों की रातें
शरारत की बातें
वो भवरो की गुन-गुन
वो सखियों का झुरमुट
वो बच्चो की शिरकत
वो अधूरी कहानी
हमारी जुबानी
कोई ला के मुझे दे
वो तोतली बातें
गुडिया गुड्डो की बरातें
वो नदिया पे बैठे परिंदों
वो तारों की रातें
शरारत की बातें
वो भवरो की गुन-गुन
वो सखियों का झुरमुट
वो बच्चो की शिरकत
कोई लाकर मुझे दे
वो अधूरी कहानी
हमारी जुबानी
कोई ला के मुझे दे
वो जुगनू की चम- चम
वो तोतली बातें
गुडिया गुड्डो की बरातें
वो नदिया पे बैठे परिंदों
की आवाजे कोई ला कर मुझे दे ....?
रिश्ते- नाते
मेरी आंख के आंसूं तेरी आँखों से निकल सकते थे
तुमने जानी ही नहीं प्यार की अस्मत बरना
नरम लहजे से तो पत्थर भी पिघल सकते थे
तुम क्या दोष दोंगे दुनिया ज़माने को अब
आज तुम खुद कटघरे में खड़े देखोगे
तुमने मिटा दिए सब रिश्ते- नाते
हमको तो जिंदगी भर दाग सहने होंगे
ये मेरा नसीव ही खोटा निकला
जिसको चाहा बही वेवफा निकला
मै आज भी कर रहीं हूँ इंतजार
शायद ये भी बही पुराना सपना निकला..
तुमने जानी ही नहीं प्यार की अस्मत बरना
नरम लहजे से तो पत्थर भी पिघल सकते थे
तुम क्या दोष दोंगे दुनिया ज़माने को अब
आज तुम खुद कटघरे में खड़े देखोगे
तुमने मिटा दिए सब रिश्ते- नाते
हमको तो जिंदगी भर दाग सहने होंगे
ये मेरा नसीव ही खोटा निकला
जिसको चाहा बही वेवफा निकला
मै आज भी कर रहीं हूँ इंतजार
शायद ये भी बही पुराना सपना निकला..
Thursday, February 10, 2011
इन्सान पर मेहरबान
ये वक़्त जो इन्सान पर मेहरबान हो जाये तब तो दुनिया हसीं हो जाये
जुर्म की उम्र बहुत कम होने लगे
जख्म का दर्द भी माकूल हो जाये
न रह सके बंदिशे ज़माने की
जमाना खुद शरीफ हो जाये
यूँ तो हर वक़्त शै की गुलाम होती है
जिंदगी देख बड़ी मेहरबान होती है
दूर तक देख जरा निगाहों से
आसमान जमी की जान होती है
पास से देख जरा आशियाने से
नजर भी किसी-किसी पर मेहरबान होती है.....
जख्म का दर्द भी माकूल हो जाये
न रह सके बंदिशे ज़माने की
जमाना खुद शरीफ हो जाये
यूँ तो हर वक़्त शै की गुलाम होती है
जिंदगी देख बड़ी मेहरबान होती है
दूर तक देख जरा निगाहों से
आसमान जमी की जान होती है
पास से देख जरा आशियाने से
नजर भी किसी-किसी पर मेहरबान होती है.....
मधुकर

है वक़्त नया आने बाला
आ देखें अब क्या है होने बाला
आने बाले के स्वागत में
बुन लो अब फूलों की माला
जीवन है मधुकर रस का प्याला
जो बीत गया बह जन्म न था
वह तो था वस एक मकड़ी का जाला
जो आयेगा वो पाओगे
वो ही होगा रस का प्याला..
मत रूठ अभी ये झूठ नहीं
ये नहीं कोई है मधुशाला
जिसमे बहते उन शब्दों को
कह दे कोई रस का प्याला
मै सत्य वचन ये कहती हूँ
कि मिल जायेगा तुझको तेरा "लाला"
जीवन है मधुकर रस का प्याला .....
यह मेरी मामी जी के गर्भ में जब तीन संतानों का अंत हो जाता है.
और बह व्याकुल थी कंही फिर बैसा न हो जाये लेकिन आज
जब उन्होंने एक सुंदर शिशु को जन्म दिया
Tuesday, February 8, 2011
वक़्त का रुख
हर आदमी परेशां नहीं होता
होता है वक़्त का रुख
जो हर किसी पर मेहरवान नहीं होता
किसी को रंक बना देता है
किसी को ताज दिला देता है
किसी को उंगलियों पर गिनकर
भी इंसाफ दिला देता है
किसी की जान जाकर भी
उसकी सच्चाई का इंसाफ नहीं होता
हर किसी पर ये वक़्त मेहरबान नहीं होता
ये हवा का झोखा है जो हर किसी के आस-पास नहीं होता
हर किसी पर ये वक़्त मेहरबान नहीं होता...
Sunday, January 23, 2011
''इंतजार शब्दों का''
कब मिलोगे मुझे ?
लिखे इन शब्दों को
लिख डाले मैंने कई शब्द दुर्भावना के
लेकिन देखती हूँ जब पलटकर पाती हूँ वंही
खड़े उस तिराहे पर
जहाँ तुमने मुझे रोका था
कब ख़त्म होगा यह इंतजार
कब मिलेगा उसे अपने हक़ का प्यार
क्या ख़त्म हो गया है शब्द कोषों का चलन...
क्या होगा उसका जीवन ?
क्या शांत हो जायेगा यह प्रश्न ?
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