मेरी आंख के आंसूं तेरी आँखों से निकल सकते थे
तुमने जानी ही नहीं प्यार की अस्मत बरना
नरम लहजे से तो पत्थर भी पिघल सकते थे
तुम क्या दोष दोंगे दुनिया ज़माने को अब
आज तुम खुद कटघरे में खड़े देखोगे
तुमने मिटा दिए सब रिश्ते- नाते
हमको तो जिंदगी भर दाग सहने होंगे
ये मेरा नसीव ही खोटा निकला
जिसको चाहा बही वेवफा निकला
मै आज भी कर रहीं हूँ इंतजार
शायद ये भी बही पुराना सपना निकला..
तुमने जानी ही नहीं प्यार की अस्मत बरना
नरम लहजे से तो पत्थर भी पिघल सकते थे
तुम क्या दोष दोंगे दुनिया ज़माने को अब
आज तुम खुद कटघरे में खड़े देखोगे
तुमने मिटा दिए सब रिश्ते- नाते
हमको तो जिंदगी भर दाग सहने होंगे
ये मेरा नसीव ही खोटा निकला
जिसको चाहा बही वेवफा निकला
मै आज भी कर रहीं हूँ इंतजार
शायद ये भी बही पुराना सपना निकला..
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