Thursday, February 10, 2011

मधुकर

जीवन है मधुकर रस का प्याला
है वक़्त नया आने बाला              
आ देखें अब क्या है होने बाला
आने बाले के स्वागत में
बुन लो अब फूलों की माला

जीवन है मधुकर रस का प्याला

जो बीत गया बह जन्म न था
वह तो था वस एक मकड़ी का जाला
जो आयेगा वो पाओगे 
वो ही होगा रस का प्याला..

मत रूठ अभी ये झूठ नहीं
ये नहीं कोई है मधुशाला
जिसमे बहते उन शब्दों को
कह दे कोई रस का प्याला

मै सत्य वचन ये कहती हूँ
कि मिल जायेगा तुझको तेरा "लाला"

जीवन है मधुकर रस का प्याला .....

यह मेरी मामी जी के गर्भ में जब तीन संतानों का अंत हो जाता है. 
और बह व्याकुल थी कंही फिर बैसा न हो जाये लेकिन आज 
जब उन्होंने एक सुंदर शिशु को जन्म दिया 

4 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

सुंदर कविता ,
नवजात शिशु स्वस्थ और खुशहाल जीवन जिए .इसी कामना के साथ
sahityasurbhi.blogspot.com

Satish Saxena said...

शुभकामनायें आपको !

रविंद्र "रवी" said...

विभा जी नवजात बालक को शुभ आशीष! इस अवसर पर आपने जो कविता लिखी है वह भी बेहतरीन है.

Anonymous said...

achhi kavita