कब मिलोगे मुझे ?
लिखे इन शब्दों को
लिख डाले मैंने कई शब्द दुर्भावना के
लेकिन देखती हूँ जब पलटकर पाती हूँ वंही
खड़े उस तिराहे पर
जहाँ तुमने मुझे रोका था
कब ख़त्म होगा यह इंतजार
कब मिलेगा उसे अपने हक़ का प्यार
क्या ख़त्म हो गया है शब्द कोषों का चलन...
क्या होगा उसका जीवन ?
क्या शांत हो जायेगा यह प्रश्न ?
3 comments:
bahut badhiya . putpoo
hhmmmmm.. serious thoughts....
BTW, aapke blog per aane se pahle adult content ki warning kyun aati hia min samajh nahi paaya.... plz chek it out
Best Wishes,
irfan
क्या ख़त्म हो गया है शब्द कोषों का चलन...
विभा जी सचमुच बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने.
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