Sunday, January 23, 2011

''इंतजार शब्दों का''

कब मिलोगे मुझे ?
अब तो बीत गए कई वर्ष
लिखे इन शब्दों को
लिख डाले  मैंने कई शब्द दुर्भावना के
लेकिन देखती हूँ जब पलटकर पाती हूँ वंही
खड़े उस तिराहे पर
जहाँ तुमने मुझे रोका था
कब ख़त्म होगा यह इंतजार   
कब मिलेगा उसे अपने हक़ का प्यार
क्या ख़त्म हो गया है शब्द कोषों का चलन...
क्या होगा उसका जीवन ?
क्या शांत हो जायेगा यह प्रश्न ?


3 comments:

#vpsinghrajput said...

bahut badhiya . putpoo

Irfanuddin said...

hhmmmmm.. serious thoughts....

BTW, aapke blog per aane se pahle adult content ki warning kyun aati hia min samajh nahi paaya.... plz chek it out


Best Wishes,
irfan

रविंद्र "रवी" said...

क्या ख़त्म हो गया है शब्द कोषों का चलन...
विभा जी सचमुच बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने.